प्यासी धरती पर बारिश की
प्यासी धरती पर बारिश की
1 min
278
प्यासी धरती पर बारिश की कुछ बूंदें बरसीं जो
और बढ़ गई तपन भाप से जलने लगा है तन मन
सोंधी सी खुशबू की कतरन तैर गई हवा में
पर प्यासी ही रही धरा और प्यासे हैं वन उपवन
हे मेघ दूत घनघोर घटा बरसाओ
हरियाली से भर जाओ
धरती के फैले आंचल को
और जरा फैलाओ
ममता की रस धार स्नेह के स्रोत
कहीं न सूखें
सब जल जाए इससे पहले
अमृतधार बरसाओ
खिले धारा खिल जाए कण कण
धुले धरा धुल जाए गगन
मिट्टी की सोंधी खुशबू से
भर भर जाए हर मन