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Lata Kanojia

Others

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Lata Kanojia

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समर्पण

समर्पण

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 मन की तड़प ने दिल को शिवाला बना दिया

 जीवन को तेरे प्रेम की हाला बना दिया

 सारा हृदय का प्रेम धवल धार बन गया

 नैनो के जल को गंगा की धारा बना दिया

 श्रद्धा के फूल भावना के बेल बन गए 

भीतर का भी समेट धतूरा बना दिया

 सांसे मेरी शिव प्रेम का संगीत बन गई

 धड़कन को घंटियों की ध्वनियाँ बना दिया

 दो अक्ष तुझे देखकर रुद्राक्ष बन गई

 दिल में तृतीय नेत्र का दीपक जला दिया।



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