श्रवण कुमार
श्रवण कुमार
श्रवण कुमार अपने वृद्ध और नेत्रहीन,
माता-पिता की संतान थे इकलौते।
अपने सरल स्वभाव से माता-पिता की,
सेवा में अपना जीवन समर्पित करते।।
माता-पिता की तीर्थयात्रा की इच्छापूर्ति के लिए,
कावड़ का कुशलता से निर्माण किया।
एक ओर पिता और दूसरी ओर माता,
बिठाकर तीर्थयात्रा की ओर प्रस्थान किया।।
सरयू नदी से जब श्रवण कुमार जल लेने गये,
आखेट करते दशरथ का तीर उन्हे आ लगा।
अपनी भूल का पश्चाताप कर श्रवण से क्षमा मांगते हैं,
परंतु पुत्र वियोग में दोनों मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं।।
श्रवण कुमार माता-पिता के भक्ति कारण,
पुराणों में युगों-युगों तक जीवित हैं।
शांतनु जी के इस सौभाग्यशाली पुत्र,
हम सभी मिलकर करते बार बार नमन है।।
