मेरी मां
मेरी मां
चूल्हे की रोटी, धुआं और हाथों के छाले हैं मां,
जिंदगी की कड़वाहट में अमृत का प्याला है मां।
छुपा लेती है अपने हर दर्द को आंचल में,
ऐसी पहेली और सहेली है मां।।
मां बिना सृष्टि की कल्पना अधूरी है,
मां ही पृथ्वी और जगत की दूरी है।
मां ही कलम, दवात और प्रबल स्याही,
ईश्वर की स्वयं एक ममतामई गवाही।।
इस दुनिया में मां का महत्व कम ना होगा,
इनके जैसा दुनिया में और कोई ना होगा।
उनकी डांट में भी एक दुलार छुपा है,
हमने संवारने का अनमोल राज छुपा है।।
सीधे-सीधे, भोले-भाले हम मन के सच्चे हैं,
हो जाएं हम कितने भी बड़े पर मां हम तेरे बच्चे हैं।।