STORYMIRROR

Neelam Bhaskar

Inspirational

4  

Neelam Bhaskar

Inspirational

नये युग की नारी

नये युग की नारी

1 min
644

देश के नये युग की नारी बन,

हर क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ कर दिखाऊंगी।

अपने पुलकित नए हौसलों से, 

कुछ अलग करके नाम कमाऊंगी।।

  

पहले जैसी अबला नहीं हूं मैं, 

जो समाज की कुरीतियों से डर जाउंगी। 

करुणा की सागर कहलाती हूं मैं, 

उठती लहरों के समान हूंकार भरूंगी।। 

  

अब बदलेगी हमारी अपनी पहचान 

मधुर वाणी और संयम बनाएगी मेरी शान

एक साड़ी में लिपटी ना हो हमारी परिभाषा

कुछ कर गुजरने की प्रबल हो आशा 

  

चाहे युग कितने ही बदल जाए, 

मैं ही जगत जननी कह लाऊंगी।

किसी के हाथ की कठपुतली नहीं हूं, 

अपना सूरज खुद चमका आऊंगी।।

  

देकर देश को नई प्रगति की दिशा,

मैं देश प्रेम का धर्म निभाऊंगी। 

हां मैं हूं नए युग की नारी,

कुछ अलग करके नाम कमाऊंगी।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational