आपदा में डटे रहना है
आपदा में डटे रहना है
अरे ! याद है उस दिन की बात
जब तुमने अंधेरे में एक छोटे से सितारे को देख कर कहा था
यह देखो एक सितारे से रोशनी आ रही है '
तब बादलों से घिरे उस आसमान में,
एक चमकता सितारा भी मानो प्रकाश की परिभाषा दे रहा था।
ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वह अपनी 'मद्धम' सी
रोशनी से काली रात को ज़ोर से कह रहा हो
कि अंधेरा चाहे जितना घना हो, उम्मीद और आत्मविश्वास
एक नया सवेरा हमेशा लेकर आता है।
आपदाएं तो आएंगी, अपने इशारे पर नचाएंगी
तुम्हें वह कमजोर बनाएंगी,
वह और ज्यादा डराएंगी।
लेकिन हारना नहीं है, घबराना नहीं है
हिम्मत का कंधों पर थैला उठाए,
उम्मीद का रुमाल जेब में रखें,
और विश्वास को दिल में बिठाए,
आगे बढ़ना है और लड़ना है।
आपदा चाहे जैसी भी हो राजनैतिक,
आर्थिक, स्वास्थ्य संबंधित
रोशनी और विश्वास से भरी एक चिंगारी
आपदा को खत्म तो नहीं करेगी
लेकिन लड़ने में मदद करेगी।
आपदा को अवसर में बदलना है,
आपदा में डटे रहना है।
आपदा में डटे रहना है।
आपदा में हिम्मत टूटेगी
हां, यह सच है कि कहना बहुत आसान है
जो गुजारा होता है दर्द तो वही जानता है
जब अंधेरा ही अंधेरा दिखता है
सब खत्म सा लगता है।
तब दिल से दो आवाजें आती हैं :
पहली: " बस बहुत हो गया और नहीं।"
दूसरी: " यह वक्त भी निकल जाएगा।"
क्योंकि एक वक्त था, जब चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान थी
क्या हुआ अगर आज थकान है तो ?
मुस्कान फिर लौटेगी।
दूसरी आवाज सुनकर आपदा में डटे रहना है
आपदा में अपने छूटेंगे, हौसले टूटेंगे
लेकिन आपदा में डटे रहना है
आपदा में शायद 'मैं', मैं नहीं रहूंगा,
बस जिंदा सा मुर्दा बन जाऊंगा,
लेकिन कुछ नहीं कहूंगा
फिर भी आपदा में डटे रहना है।
एक भयानक आपदा ने 30 जनवरी,
2020 को हमारी जिंदगी में प्रवेश किया था
22 मार्च 2020 ,के बाद मानो सब थम सा गया था
दौड़ती हुई जिंदगी ज़रा ठहर गई थी।
घड़ी की सुई तो अपनी गति से चल रही थी,
लेकिन रोज़ की जिंदगी में हलचल कहीं सो गई थी
व्यापार बंद !! रोजगार बंद ! और जनता तंग !
कुछ लोग तन, मन, धन से अपना सब कुछ हार गए थे,
और कुछ करोड़ों में अपना समय गुज़ार रहे थे।
कोई बेसहारा अपने दर्द से लड़ रहा था
और कोई पैसे वाला भ्रष्टाचार की सीढ़ी चढ़ रहा था
कुछ ने अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा समय गुजारा ,
और कुछ ने प्रत्यक्ष किया अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा नज़ारा ।
कुछ के आंसू नहीं थमहें ,
वहीं कुछ नहीं गुजारे आलीशान लम्हें
जैसा भी समय था, हिम्मत अटूट रही
लोगों ने बहुत कुछ सहा,
अंतिम समय में किसी अपने को अलविदा भी नहीं कहा
महामारी ने ऐसा तांडव रचाया,
लाचारी ने हर ओर से शोर मचाया !
आपदा अब भी ज़ारी है
शोर तो आज भी है कुछ अंदर का, कुछ बाहर का
शोर तो कल भी होगा कुछ ख्वाब टूटने का और
कुछ अपनों का साथ छूटने का
शोर तो हर दिन होगा
आपदा तो हर दिन आएगी !
कभी मेरी जिंदगी में, तो कभी आपकी
थोड़े शोर की आदत डाल लेंगे
और थोड़ी शांति की प्रतीक्षा कर लेंगे
क्योंकि आपदा हारेगी, ज़रूर हारेगी !
और जब हम 'सशक्त 'खड़े होकर;
'शांति 'और 'संतुष्टि' को महसूस करेंगे तो
अपने आप को किसी भी आपदा से बहुत बलवान पाएंगे
और आपदा में डटे रहना है, यह एक ही नारा गाएंगे।