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Vineeta Pathak

Inspirational

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Vineeta Pathak

Inspirational

मैं आभारी हूँ उन सबका...

मैं आभारी हूँ उन सबका...

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मैं आभारी हूँ उन सबका, 

जिनसे कुछ न कुछ सीखा। 

इसीलिए तो वर्ष ही पूरा, 

लगता "शिक्षक दिवस" जैसा। 


बचपन से लेकर के अब तक, 

परिवार रहा मेरा शिक्षक।

अनुभवों का एक खजाना, 

लुटाता रहता है मुझ पर। 


शाला के सारे वे शिक्षक, 

जो बने थे मेरे नए पालक।

देकर मुझ को विद्या दान,

बनाई मेरी नई पहचान। 


शाला से बाहर जब आया, 

नई दुनिया में खुद को पाया। 

आस-पास एक बार फिर से, 

गुरुओं को साथ खड़ा पाया। 


इसे ही किस्मत कहते हैं, 

सब कहाँ इसे समझते हैं। 

गुरू साथ जब रहता है, 

अवरोध नहीं फिर आता हैं। 


एक कृतज्ञता भाव लिए, 

हर गुरू को शीश नवाते हैं। 

एहसान भाव लिए मन में, 

गुरू की वंदना गाते हैं। 


विनम्र भाव से हरदम हम, 

बार-बार,यही दोहराते हैं।

गुरू चरणों में मस्तक रहे, 

और जीवन यूँ चलता रहे।


मैं आभारी हूँ उन सबका, 

जिनसे कुछ न कुछ सीखा। 

'धन्यवाद' उन गुरूओं का, 

जिन्होनें जीवन उन्नत किया। 



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