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Vineeta Pathak

Abstract

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Vineeta Pathak

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जीवन के रंग....

जीवन के रंग....

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होली के रंगों के जैसे

ज़िंदगी के रंग सुनहरे, 

करमों की कूची से आओ, 

और बनाएँ, इन्हें चटकीले। 


कहने को तो श्वेत श्याम भी, 

उन रंगों में हैं शामिल। 

कहाँ देख पाता है कोई, 

रहते ये धूमिल-धूमिल। 


श्वेत समेट सारे रंगों को, 

मंद-मंद मुस्काता है। 

और श्याम रंग में देखो, 

कितना कुछ समाया है। 


जीवन में जब कभी-कभी, 

अवसाद के बादल छाते हैं। 

उम्मीदों के रंगों से तब-तब 

कई इंद्रधनुष तन जाते हैं। 


विपत्तियों की धूप में,जब,

ये मन थक-थक जाता है। 

खुशियों की हरियाली लेकर, 

सुख का सावन आ जाता है। 


जीवन का हर एक पल,

कभी ना हो पाए बेरंग।

सद्भावना की होली रहे,

रिश्ते करें हर पल हुड़दं।


जीवन के इन रंग-बिरंगे, 

पलों को सहेज कर रखना। 

काले बादल जब जब छाएँ, 

इंद्रधनुष थामे रखना।



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