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Vineeta Pathak

Tragedy

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Vineeta Pathak

Tragedy

खामोश सी एक आहट है

खामोश सी एक आहट है

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खामोश सी एक आहट है,

अजीब सी सुगबुगाहट है।

सारी किलाबंदी तोड़ दे जो,

दुश्मन सी कोई ताकत है।


ये बिन हथियार लड़ाई है,

जो कुदरत ने हमें जताई है।

सारे,असलहे भी बेमानी हैं,

ज़िंदगी की जंग जारी है।


मुसीबत कहाँ से कैसे आई,

प्रश्न अब यह व्यर्थ हुआ।

मानव को देकर एक चुनौती,

किसने विनाश शुरू किया।


वह हथियार कहाँ से लाएँ,

जिससे इसको जीत सकें।

बिन बुलाए मेहमान सी इस,

समस्या को कैसे दूर करें।


मानव से मानव का भेद,

अब तो हमें मिटाना होगा।

अब, इस दुश्मन को हराने,

सबको साथ में आना होगा।


साफ़-सफाई पूरी रखकर,

आपस में कुछ दूरी रखकर।

दुश्मन को यूँ चकमा देकर,

रहना होगा इससे बचकर।


बस कुछ दिनों की बात है,

फिर बाजी अपने हाथ है।

खुद समझो और समझाओ,

इस दानव से भिड़ जाओ।


तब जीत हमारी निश्चित है,

घबराने की न ज़रूरत है।

इस पर जो काबू पा लिया,

मानो सब कुछ जीत लिया।


थोड़ी भी हुई जो कोताही,

जान जाएगी बहुतों की।

छोटी सी एक गलती की,

कीमत बड़ी चुकानी होगी।


आओ हम सब आगे आएँ,

एक साथ सब हो जाएँ।

मतभेदों को दूर हटाकर,

दुश्मन पर हम काबू पाएँ।


खामोश सी इस आहट को,

हमने है पहचान लिया।

इस जंग को हम जीतेंगे,

हम सब ने ये ठान लिया।




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