उठो बेटियों
उठो बेटियों
उठो बेटियों, नव दुर्गा बन दुष्टों का संहार करो।
जागो, कि यह कालरात्रि है अंधकार पर वार करो।
मानवता के धर्म युद्ध में दानवता का नाश करो।
हैवानों की दुनिया में अब कदर तुम्हारी नहीं होगी।
सीता - सावित्री बनकर अब गुजर तुम्हारी नहीं होगी।
आसमान को छूने वाली धरती पर हुंकार भरो।
उठो बेटियों, नव दुर्गा बन दुष्टों का संहार करो।
जागो, वरना जीव-जगत में हाहाकार मच जाएगा।
बेटी-बहने गर नहीं बचीं तो सर्वनाश हो जाएगा।
इन व्यभिचारी-विषधर के फन कुचलो, जग त्राण करो।<
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उठो बेटियों, नव दुर्गा बन दुष्टों का संहार करो।
करूणा-ममता की स्रोत हो तुम असुरों के निमित्त काली-रूद्रा।
हो आदिशक्ति मानवता की जग-जननी हो तुम माँ दुर्गा।
झंझावातों में भी जलती तुम दीपशिखा का गान लिखो।
उठो बेटियों, नव दुर्गा बनदुष्टों का संहार करो।
तोड़ रूढ़ियों के सब बंधन एक नया इतिहास रचो।
दुर्गावती, रानी झाँसी - सा उन्मत्त गौरव गान लिखो।
दूर हिमालय की चोटी से धरती का उनवान लिखो।
उठो बेटियों, नव दुर्गा बन दुष्टों का संहार करो।
- विजयानंद विजय