Vijayanand Singh

Others

3.6  

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प्यारी बहना

प्यारी बहना

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बचपन के वे खेल-खिलौने 

गुड्डे - गुड़िया और कुछ सपने।

भैया संग वो हँसी-ठिठोली

कभी झगड़ा और कभी हमजोली।

चिड़ियों - सा दिन-रात चहकना

तितली बन फिर - फिर उड़ जाना।

याद आए वो.... प्यारी बहना।


जी चाहे लौटूँ उस पल में

गुड़िया जब आई थी घर में।

बोला था उसने जब" भैया "

नाचा था मैं ता - ता - थैया।

यादों के सपनीले पलों में

घुल जाना और खो जाना।

याद आए....वो प्यारी बहना।


मैं ढूँढूँ, तुम छुप - छुप जाना

पल - पल का रूठना-मनाना।

पाँव बकइयाँ, उठना - गिरना

उँगली थामे डेगें भरना।

नन्हे हाथों राखी थामे

मन-प्यारी लड्डू को मचलना।

याद आए....वो प्यारी बहना।


रोली - चंदन - अक्षत - बंधन

भाई का करने अभिनंदन।

आस - निराश में डूबे नयना

भइया कब आएँगे अँगना ?

देख झलक प्यारे भाई की

भर आए बहना के नयना।

याद आए.....वो प्यारी बहना।



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