मेरे शिक्षक,मेरे नायक
मेरे शिक्षक,मेरे नायक
पहले गुरुकुल में फिर,
मैकेले के कोठारी में,
अब मिलते है वो,
सीसे के आभासी दिवारी में,
माध्यमे बदलती रही,
पर ना कमी आई कभी,
एक शिक्षक के वफादारी में,
गूगल-मिट और ज़ूम से,
कभी परिचय ना था,
फिर भी हमे सिखाने को,
तकनीकों को गले लगाती वो,
कांपते है हाथ उनके,
पेन टैब के स्लॉट पर,
पर हमारे सुनहरे भविष्य के लिए,
हर रोज सिलिकॉन का,
कलम उठाती वो।