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गिरते पत्तों से

गिरते पत्तों से

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गिरते पत्तों ने बतलाया है मुझ को

गिरा देंगे तुम्हारे अपने भी तुझ को

भार जिस दिन तुम बन जाओगे।


कार्बन के अपरूप हीरे ने

बतलाया मुझ को

कोयले से तप कर किम्बरलाइट

पर चढ़

जिस दिन अपना चमक तुम पाओगे

अपने क्या गैर भी तुम पर हक़

जमाएंगे

कृति किसी की भी क्यों ना हो तुम

पर वो तुम्हें बस अपना ही बतलायेंगे।



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