धुर्त आँखें
धुर्त आँखें
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अच्छा लगा,
देखना तेरा,
अच्छा लगा,
देखना तेरा,
अब निकल,
अपने राह को,
मैंने कई दिखावटी,
आँखें देखे है,
तेरे जैसे,
जिसकी आँखें,
ईर्ष्या की दर्पण,
वो तो बस,
दुर्भावना को,
अर्पण है,
तेरे आँखों में,
छुपा व्यंग्य है,
साफ दिखती,
परछाईं है,
रावण बन तू,
साधु भेश,
धर आई है,
जब-जब छल,
किया मानुष ने,
पहले नयन ही,
शरमाई है,
देख लिया,
अब निकल,
मैंने भी देख,
लिया तुझ में,
जो तेरा नयन,
देख ना सका,
मेरे लोचन ने,
दिखलाई है।