STORYMIRROR

Shraddha Gaur

Inspirational

3  

Shraddha Gaur

Inspirational

मेरे शिक्षक

मेरे शिक्षक

1 min
282

तोतली बोली से साफ शब्दों का परिचय कराया,

नाज़ुक हाथों को थाम कर "आ" से "आम" भी लिखना सिखाया।

उम्र दर उम्र बढ़ी रिश्ता ये नया बढ़ता गया

दो दूनी चार, और "सी" से "कार" ये सब कुछ जुबां पर चढ़ता गया।

जगहें बदली, कुछ चेहरे भी बदले पर सीख दे जाते थे

कभी आचार्य जी, बहन जी तो कभी सर, मैम के नाम से इन्हें बुलाते थे।

बीजगणित के व्यंजनों और नाव, धारा की चाल में

बोर्ड की परीक्षा और कॉलेज के इम्तिहान में,

वार्षिक समारोह में और त्योहारों के अवकाश में 

एक यही रिश्ता था जो हमेशा आपको अपनी याद दिलाता रहता।

कभी फटकार भी पड़ी तो आंसू थे आंखो में,

और फेवरेट टीचर की बढ़ाई से फूले ना समाते थे।

स्कूल के दिनों में सुबह सुबह मैडम को एक गुलाब देना 

 दिनचर्या होती थी, जिसे घर पर सभी जानते थे।

 महानता है आपकी कि विद्या का दान दिया हमको ,

 हम अबोध बालकों को आप ही इंसान बना गए।

शत शत नमन गुरुओं को सभी,

और शुक्रिया होने का जीवन में हमारे।

जलती लौ के समान है होना आपका,

जो प्रकाशित कर देता सारा जहां,

और मन का अंधकार मिटा देता।


સામગ્રીને રેટ આપો
લોગિન

Similar hindi poem from Inspirational