सीता की अग्नि परीक्षा आख़िर कब
सीता की अग्नि परीक्षा आख़िर कब
कहिए आखिर कब तक सीता को जलना पड़ेगा
अग्नि में और कब तक देनी पड़ेगी परीक्षा ?
निकाली जाएंगी कब तक अपने ही घर से
और कब तक रावण करेंगे उसका अपहरण ?
कब तक अपने पति से मन की ना कह पायेगी और
कब तक निर्दोष होते हुए भी वनवास को जायेगी ?
पुत्रों से कब तक अपनी पीड़ा छुपाएगी
खिर कब तक स्त्री अत्याचारों को सहते जायेगी ?
सशक्त है वो बाला, जिसे कहता था जग अबला,
तीर, तलवार भी उठायेगी अपने हक को वो पा जायेगी।
कलयुगी इस युग में, अपनी अलग पहचान बनाएगी,
पति ना पिता, अब वो खुद के नाम से जानी जाएगी।
कोमल हृदय आज भी, और चंचल मन आज भी है,
अवसर आने पर मां अंबिका भी बन जायेगी।
यह नारी है, सीता और जगत की न्यारी है,
पापियों को यही अब न्याय का पाठ सिखाएगी।
अब ना सीता को गुजरना होगा अग्नि से,
ना ही किसी अन्य की अग्निपरीक्षा ली जाएगी।