STORYMIRROR

Shraddha Gaur

Abstract

4  

Shraddha Gaur

Abstract

लाल बत्ती

लाल बत्ती

1 min
544

रुक जाती है दौड़ती जिंदगी

गाड़ियों की रफ्तार के साथ,

कुछ के रास्ते कट जाते हैं

धीमी मद्धम रफ़्तार के साथ,


इस पड़ाव में कुछ चेहरों पर

मुस्कुराहट होती हैं,

तो कुछ जल्दीबाज़ी में

भूल जाते हैं जीना,


नुक्कड़ पर बैठे और

मांगते हुए लोग,

खिड़की से झांकती दुनिया को

वो नीली फ्रॉक वाली गुड़िया


और गुमटी पर ज़रूरत

बेचने वाले वो बुज़ुर्ग

जाने कितनी ही बार जाने पहचाने

चेहरों से टकराते होंगे,


कुछ एक से हो गई होगी

जान पहचान तो

कुछ अभी भी

पलट कर जाते होंगे।


तैयारी होने लगती

पीली बत्ती के बाद ,

जिंदगी किसी की थम गई तो

किसी की बन गई

इस लाल बत्ती के साथ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract