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SHWETA GUPTA

Abstract

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SHWETA GUPTA

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मैं सैनिक नहीं

मैं सैनिक नहीं

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मैं सैनिक नहीं,

के शहीद हो जाऊँ,

पर भारत के लिए,

मेरा इश्क सच्चा

और अटल।

             

भारत मेरी सरज़मीं

यही है मेरे 

ख़्वाबों की ज़मीं,

मेरा आज, मेरा कल।        


ख़्वाबों की ज़मीं

पर बोए मैंने,

तालीम के बीज,

जिससे उगे, तालीम

की फ़सल।

              

ख़्वाबों की ज़मीं

को सींचा मैंने,

मेहनत से अपनी, 

जिससे बढ़े,

इल्म की फ़सल।


ख़्वाबों की ज़मीं

पर लहलहाती मेरी, 

शाइस्तों से भरी,

खूबसूरत, मेरे

ख़्वाबों की फ़सल।

            

 फ़सल का कटना

 है मेरी शहादत,

 जिससे आगे बढ़ा और,

 खुशनुमा हुआ,

भारत का कल।



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