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SHWETA GUPTA

Romance

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SHWETA GUPTA

Romance

वह कौन?

वह कौन?

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अपने हृदय के अंतः स्थल में

छिपा ली थी कभी मैंने - 

एक पहचान,

एक मुस्कान।


साल दर साल अनेक परतें 

बिछाई थीं उस पर मैंने -

रस्मों की,

रिवाजों की।


उसका नाम न आए होठों पर

यह कसम उठाई थी मैंने -

कर्म से,

धर्म से।


न लौट कर देखा उसे मन भर

न ही याद किया मैंने -

वह कौन,

मैं मौन।


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