गुल्लक
गुल्लक
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माँ मिट्टी की गुल्लक मुझे दिला दे,
मैं जिसमें पैसे जोड़ूँगा।
खनखन सिक्के जब शोर करेंगे,
मैं उसको फिर तोड़ूँगा।
उसमें ढेर सा मेरा खजाना होगा,
जिस पर मैं खूब इतराऊँगा।
उसे तोड़कर, यह सोचा है मैंने
तुझे नई साड़ी दिलवाऊँगा।
वह साड़ी तुझ पर खूब सजेगी,
मैं तेरी तस्वीर बनाऊँगा।
भाग कर आ बैठूँगा तेरी गोदी में,
मैं राजकुमार बन जाऊँगा।
