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SHWETA GUPTA

Others

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प्रकृति माँ का कोप

प्रकृति माँ का कोप

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एक दिन तेज चली जब आँधी

और जोरों की बारिश आई

जंगल के सभी पशुओं की

राजा शेर ने सभा बुलाई।


प्रकृति माँ का कोप हुआ है

तभी तो इतनी आफत आई

कैसे प्रकृति माँ को मनाएँ,

मिलकर हम सब, सारे भाई?


कहाँ होगी आओ हम सोचें

अपने इस दुःख की सुनवाई

धीरे से बंदर फिर बोला,

मनुष्य करता पेड़ों की कटाई।


बहुत से जंगल नष्ट हो गए,

अब तो अपनी बारी आई

कब समझेगा मानव न जाने,

जंगल बचाने में ही है भलाई।


नहीं तो होगी विनाश लीला,

और हर ओर त्राहि- त्राहि।



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