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SHWETA GUPTA

Others

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दो सौ वर्ष

दो सौ वर्ष

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एक कठिन समय की शुरूआत हुई थी 1757 में,

हार गया सिराज-उद-दौलह, जो युद्ध हुआ पलासी में।


मीर जाफर के धोखे से झुक गया था सबका सर,

यूनियन जैक फहराया गया था, बंगाल की भूमि पर।


मुगलिया सल्तनत हारी, बक्सर में जब युद्ध हुआ,

बंगाल की दीवानी पाकर अंग्रेज जीते सियासी जुआ।


आई इलाहाबाद की बारी, मैसूर भी था जीत लिया,

रुका नहीं अंग्रेजी दल, हे! नियति यह तूने क्या किया!


पूना में हुई मराठों की हार, अंग्रेजों का बिगुल बजा,

सिखों की भी न जीत हुई, कैसी थी यह रब की रज़ा!


कित्तूर, सतारा, संबलपुर, जैतपुर, नागपुर और झांसी,

व्यपगत के सिद्धान्त से जीते, यह हड़प नीति थी कैसी?


सौ वर्ष बाद 1857 में, भारत में हुआ स्वतंत्रता संग्राम,

मंगल पाण्डे ने फूँकीं चिंगारी, अमर हो गया उसका नाम।


बहादुर शाह जफर, हज़रत महल, तात्या टोपे, लक्ष्मीबाई 

नाना साहब, बख्त खान, इन शहीदों की न होगी भरपाई।


दमन हो गया इस संग्राम का, इसको विद्रोह दिया करार,

विक्टोरिया बन गई सम्राज्ञी, स्थापित हुई उसकी सरकार।


रखी राष्‍ट्रीय आंदोलन की नींव, सुरेन्‍द्र नाथ बनर्जी ने, 

1876 में कलकत्‍ता में, भारत एसोसिएशन के गठन से। 


1885 में भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन हुआ,

वोमेश चन्‍द्र बनर्जी बने अध्‍यक्ष, सभी ने इसमें भाग लिया।


अगली सदी में तिलक ने स्वदेशी आंदोलन था चलाया,

स्‍वतंत्रता आंदोलन को सामान्‍य भारतीयों तक पहुँचाया


दादा भाई नौरोजी ने दिया "स्‍वराज्‍य" प्राप्‍त करने का नारा,

स्‍वशासन की थी मांग सही, अपना शासन था हमें प्यारा।


13 अप्रेल 1919 को जलियांवाला बाग में हुआ नरसंहार,

जनरल डायर के आदेश पर चली अंधाधुंध गोलियाँ हज़ार। 


1920 में शुरू हुआ महात्‍मा गांधी का असहयोग आंदोलन,

अत्‍यंत सफल था यह आंदोलन, इसमें शामिल था जन-जन।


1927 में लेकर आई साइमन कमीशन ब्रिटिश सरकार,

लाला लाजपत राय के नेतृत्‍व में हुआ इसका बहिष्‍कार।


नागरिक अवज्ञा आंदोलन में गांधी जी तोड़ा नमक कानून,

26 जनवरी 1930 को स्‍वतंत्रता दिवस की मच गई धूम।


चंद्रशेखर, भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरू बोले इंकलाब,

आज़ादी को दुल्हन बना, ब्याहने का वे देख रहे थे ख़्वाब।


1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो के नारे ने जगाई मन में आस,

सुभाष चंद्र बोस ने खून के बदले आज़ादी का दिलाया विश्वास।


अंततः आया स्वर्णिम दिन, 15 अगस्त 1947 को तिरंगा लहराया,

नेहरू ने कमान संभाली, सरदार पटेल ने खंडों को जोड़ दिखाया।


वैसे अब क्या है जरूरत, इन भूली बिसरी यादों की,

हम एक हैं और एक रहेंगें, आओ गाएँ यह गीत सभी।



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