गर्मी की छुट्टियाँ
गर्मी की छुट्टियाँ
इंतजार करती रहती हूँ, कब आएँ गर्मी की छुट्टियाँ।
मैं जाऊँ नानी के गाँव, खाऊँ चूल्हे पर सिकीं रोटियाँ।
नाना जी का हाथ पकड़कर, पार करूँगी संकरी गलियाँ।
कभी जाकर मामा के साथ, देखूँगी गेहूँ की बालियाँ।
दही बिलोने पर सुन पाऊँ, मामी की खनकती चूड़ियाँ।
कभी आम के पेड़ पर चढ़कर, तोड़ूॅंगी मैं खट्टी अम्बियाँ।
कभी झूला बन मुझे झुलाएँ, नीम की वे नरम डालियाँ।
भाग कर खाली मैदानों में, कभी गिनूँगी भेड़-बकरियाँ।
रजनी, नेहा और राजू के संग, पकड़ूँगी मैं रोज तितलियाँ।
जल्दी जल्दी बिना रुके, चढ़ जाऊँगी मंदिर की सीढ़ियाँ।
भगवान को मैं अर्पित करूँगी, नन्ही- नन्ही कोमल कलियाँ।
इंतजार करती रहती हूँ, कब आएँ गर्मी की छुट्टियाँ।
