Sweta Sharma
Abstract
आज उससे यू बात हुई
दहकते अंगारों पर
पानी की बरसात हुई है,
इतने दिनों की कोशिश
के बाद उससे
मुलाकात हुई है,
उसे देखने की चाहत में,
अचानक यूँ उससे टकराहट हुई है।
किताब
स्वार्थी
कोरोना से जंग
निर्मल झरने
प्यार
अल्फ़ाज़
बहाने
पहली मुलाकात
उठो नौजवानों, वीरता है पुकारती नजरों में हैं, आन-बान देश की। उठो नौजवानों, वीरता है पुकारती नजरों में हैं, आन-बान देश की।
बेफिक्र हो जाती हूँ बेफिक्र तुमसे हूँ तो हूँ क्योंकि दोस्त हूँ और बस दोस्त हूँ तो बेफिक्र हो जाती हूँ बेफिक्र तुमसे हूँ तो हूँ क्योंकि दोस्त हूँ और बस...
तब उसका नर्म और गर्म एहसास मुझे अग्निपुंज जा जलाता रहता है ! तब उसका नर्म और गर्म एहसास मुझे अग्निपुंज जा जलाता रहता है !
अपनी जिंदगी जिउँगी फिर देखना माँ लोग क्या कहेंगे। अपनी जिंदगी जिउँगी फिर देखना माँ लोग क्या कहेंगे।
जी भरकर हॅंस पाएगा सब कुछ साफ नजर आयेगा। जी भरकर हॅंस पाएगा सब कुछ साफ नजर आयेगा।
तेरी ही दीवानी राधा राधा प्यारी श्याम तेरी तेरी ही तेरी दीवानी राधा प्यारी ! तेरी ही दीवानी राधा राधा प्यारी श्याम तेरी तेरी ही तेरी दीवानी राधा प्यारी !
जिन्दगी की अब हर, उलाहना खत्म हो गई। जिन्दगी की अब हर, उलाहना खत्म हो गई।
कि दुबारा कोई वीराने से दूर ले जाकर फ़िर जिंदगी वीरान ना कर जाए। कि दुबारा कोई वीराने से दूर ले जाकर फ़िर जिंदगी वीरान ना कर जाए।
हम सोये यह न रोये, धरती माँ की सेवा, करना हम जानते है। हम सोये यह न रोये, धरती माँ की सेवा, करना हम जानते है।
अब पूछना मत होठों के पीछे की चुप्पी बोल पड़े तो बवाल ही बवाल है। अब पूछना मत होठों के पीछे की चुप्पी बोल पड़े तो बवाल ही बवाल है।
वो कनेर का फूल जिसकी खुशबू जहरीली सी उसका तन भी जहरीला सा ! वो कनेर का फूल जिसकी खुशबू जहरीली सी उसका तन भी जहरीला सा !
फिर नई कहानियों के गम्भीर विचारों में कहीं उलझ गया अपना बचपन। फिर नई कहानियों के गम्भीर विचारों में कहीं उलझ गया अपना बचपन।
व्याधियाँ हँसने लगी जब सो रहे दिन रात जागे योग-ध्यान दिखे कहाँ अब दुष्टता में सबसे आ व्याधियाँ हँसने लगी जब सो रहे दिन रात जागे योग-ध्यान दिखे कहाँ अब दुष्ट...
तेरी आन की खातिर माता दुश्मन से भी लड़ते जाते। तेरी आन की खातिर माता दुश्मन से भी लड़ते जाते।
रिश्ते मुफलिसी में टूटे हैं अक्सर 'अपना' मानने से इंकार हुआ। रिश्ते मुफलिसी में टूटे हैं अक्सर 'अपना' मानने से इंकार हुआ।
परिवर्तन है परिवर्तन है, उठो देखो नवजीवन है! परिवर्तन है परिवर्तन है, उठो देखो नवजीवन है!
कुछ कहना चाह रही है अगर ज़ुबाँ, तो खुलकर उसे अपनी बात कहने दो। कुछ कहना चाह रही है अगर ज़ुबाँ, तो खुलकर उसे अपनी बात कहने दो।
उसने ही जग को जीता है, कुछ कर जाने की ठानी है। उसने ही जग को जीता है, कुछ कर जाने की ठानी है।
तुझसे हार कर भी जैसे जीत गई मैं क्योंकि अब उदास नहीं हूँ में। तुझसे हार कर भी जैसे जीत गई मैं क्योंकि अब उदास नहीं हूँ में।
खुद को खुद की नजरों में उठा लेना बेहतर होता है। खुद को खुद की नजरों में उठा लेना बेहतर होता है।