शब्दों की कोई सीमा नहीं होती, और सीमा के कोई शब्द नहीं होते।
तेरा नाम ही भंडार है , तू ही ज्ञान का आधार है । तेरा नाम ही भंडार है , तू ही ज्ञान का आधार है ।
पर कोई नहीं है अपना, सब अपने काम के लिए बने हैं। पर कोई नहीं है अपना, सब अपने काम के लिए बने हैं।
कोरोना से हमारी लड़ाई है, इससे बचने की अब हमने कसम खाई है। कोरोना से हमारी लड़ाई है, इससे बचने की अब हमने कसम खाई है।
मिले पथिक रास्ते में उसे छाया संग जलपान कराते जाते हैं मिले पथिक रास्ते में उसे छाया संग जलपान कराते जाते हैं
ही मेरे नाम का महल बनाते हैं। ही मेरे नाम का महल बनाते हैं।
कुछ अल्फ़ाज़ कह जाते हैं, कुछ अल्फ़ाज़ बह जाते हैं। कुछ अल्फ़ाज़ कह जाते हैं, कुछ अल्फ़ाज़ बह जाते हैं।
यूं सूरज ढल रहा है, चांद के बहाने रात भर इस संग कौन जागेगा, रात क्या जाने यूं सूरज ढल रहा है, चांद के बहाने रात भर इस संग कौन जागेगा, रात क्या जाने
उसे देखने की चाहत में, अचानक यूँ उससे टकराहट हुई है। उसे देखने की चाहत में, अचानक यूँ उससे टकराहट हुई है।