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Santosh Shrivastava

Abstract

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Santosh Shrivastava

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नजाकत वक़्त की

नजाकत वक़्त की

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रफ्ता रफ्ता

गुजर रहा है

वक़्त

यादें हैं

कुछ खट्टी

कुछ मिट्ठी

कुछ खोने की

कुछ पाने की

कुछ देश की

कुछ परदेश की

कुछ समाज की

कुछ परिवार की

है अगर खट्टा

कड़वा, दुःखद

तो भूल जाये उसे

रखें याद

प्यार, मोहब्बत

इन्सानियत

भाईचारा

अपनापन

बस है

यहीं दौलत

इन्सान की

करें कुछ अच्छा

आने वाले

वक़्त में

जो बीता

उसे भूले

गुजरे

वक़्त में



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