मोह माया एक मिथक
मोह माया एक मिथक
1 min
697
नश्वर काया
नश्वर माया,
क्या कमाया
क्या खोया,
है मन का
यह भ्रम
जाना नहीँ
किसी ने
यह मर्म।
रहते जब तलक
दुनियां में
मेरा तेरा करता
इन्सान,
पहुँचता जब
श्मशान शरीर
चिता में जलते
है अपमान।
है कैसी
विडम्बना
जीवन में
लूट खसोट
करता इन्सान
कभी भ्रष्टाचार
कभी घोटाले
करता अपना
नाम बदनाम।
जन्म से ही
समझे इन्सान
है नश्वर ये तन
आता जाता
रहता धन
करें सेवा
सब की हम
रखें साफ
इन्सान मन ।
