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gyayak jain

Abstract

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gyayak jain

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नव-वर्ष

नव-वर्ष

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नव आकर्षण सा नया वर्ष,

ले नई सफलता झोली में

खड़ा बाँह फैलाये ऐसे,

नभ भी अब पग राह तले।


मुस्कान खिली सी आ जाती,

ज्यों फूल चमक पा जाने से

उस खिले फूल सी रौनकता,

जीवन पथ पर अविरल चमके।


आज किया संकल्प एक,

खुद की सीमा को छोड़ें पीछे

जग में मानव जो श्रेष्ठ कहा,

नव इतिहास गढ़ें, नव सीमाएँ।


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