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gyayak jain

Others

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gyayak jain

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कोई तो हो

कोई तो हो

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कोई तो हो, जो मौत पर, मेरी भी कल को रो सके,

देख कर मायूस चेहरा, घाव दिल के कह सके।


कोई तो हो, ग़म जिसके सामने, बिन झिझक के बह सके,

खाली पड़े इस गाँव में, अपना जिसे दिल कह सके।


कोई तो हो, जिसका चाँदनी सा शीतल सुहाना एहसास हो

आँख की हर इक झपक में, रूह मिलन की प्यास हो।


कोई तो हो बादलों सी गरजन भी जिसकी मोह ले

छूकर उसे जो गुजर रही, उस हर हवा को टोह ले।


कोई तो हो शायरी का हर शब्द जिसको कह सके

कह सका न शाहजहाँ भी, ऐसे मुकम्मल कह सके।


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