प्राची है तू शुरुआत जगत की
प्राची है तू शुरुआत जगत की
मन में संकल्प, आँखों में लक्ष्य, और हृदय में है आकाश,
चाह हो वैसे मार्ग तेरे सब,
हर पग तेरा हो सूर्य प्रकाश।
सब सीख तेरी, हों सीख किसी को, जीवन हो तेरा सतत प्रयास,
नदी है तू, तेरी खूब हैं शाखा,
बन जाए सागर कर अभ्यास।
बीता जो कल, वो ज्ञान बना है, आने वाला होगा विज्ञान,
प्राची है तू शुरुआत जगत की,
अंत हो कारण केवलज्ञान।