मन से निकले ये उद्गार मन को छू गए बारंबार मन से निकले ये उद्गार मन को छू गए बारंबार
प्राची है तू शुरुआत जगत की, अंत हो कारण केवलज्ञान। प्राची है तू शुरुआत जगत की, अंत हो कारण केवलज्ञान।
गलतफहमी के हो करके शिकार, खो देते हैं विश्वास और अपनों का प्यार। गलतफहमी के हो करके शिकार, खो देते हैं विश्वास और अपनों का प्यार।