STORYMIRROR

gyayak jain

Tragedy

3  

gyayak jain

Tragedy

जियो और जीने दो यार

जियो और जीने दो यार

1 min
149

भूख लगी जब इंसानों को, खूब मचाया हाहाकार

अखबारों में गुदे पड़े हैं,

रूह निचोड़े इस्तेहार।


दया दिखावा कर रहे हैं, पाल श्वान घर में ला-चार

बफादार थे वे तो बरना,

पच जाते बनके आहार।


अमन-प्रेम चाहें जीवन से, और प्लेट में मांसाहार

बना दिया है इस जाति ने,

ज़ुल्म बेचना कारोबार।


मान रखा है जीत जिसे, वो झूठे हैं प्रगति के द्वार

आगे स्वच्छ हवा को रोते,

पीछे कटवाते पेड़ हजार।


कबतक तू चेतेगा मानव, अब मौत खड़ी दे दस्तक द्वार

हर प्राणी का हक है जीवन,

जिओ और जीने दो यार।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy