इन्सा को सही में, फिर से .... इन्सान बना रहा है। इन्सा को सही में, फिर से .... इन्सान बना रहा है।
कबतक तू चेतेगा मानव, अब मौत खड़ी दे दस्तक द्वार! कबतक तू चेतेगा मानव, अब मौत खड़ी दे दस्तक द्वार!
निरोग और सुखी जीवन की पतवार, मेरी तेरह यदि रहोगे, अल्पाहार और शाकाहार। निरोग और सुखी जीवन की पतवार, मेरी तेरह यदि रहोगे, अल्पाहार और शाकाहार।
पहल हमारी होनी चाहिये, बनाए चरित्रवान, संस्कार के बल पर ही, जाने सारा ही जहान।। पहल हमारी होनी चाहिये, बनाए चरित्रवान, संस्कार के बल पर ही, जाने सारा ही जह...