मेरा प्रिय जानवर - जिराफ ।
मेरा प्रिय जानवर - जिराफ ।
मेरा प्रिय जानवर है जिराफ,
उसका दिल शीशे जैसा साफ।
इंसान की दयालुता भी,
उसके आगे फीकी है।
शाकाहार की परम्परा उसने,
जन्मजात सीखी है।
जानवर हो या इंसान,
कितना हो चाहे महान।
उसे हमेशा करना चाहिए,
प्रकृति का सम्मान।
जिराफ हमें यह सिखलाता है,
जो सोता है वह खोता है,
जीवन का अमृत पाठ,
पढ़ाता है।
निरोग और सुखी जीवन की पतवार,
मेरी तेरह यदि रहोगे,
अल्पाहार और शाकाहार।
विशाल होकर हमेशा झुकना सीखो,
परिस्थिति में ढलना सीखो।
लंबी आयु पाओगे,
यदि शक्ति का उचित संचयन कर पाओगे।
जिराफ मातृत्व की परिणति है,
शिशु को बार बार उठाती है, गिराती है।
यदि शक्ति का सामना करना होगा,
तो बार - बार गिरना होगा,
और गिर - गिर कर उठना होगा।
अपने विवेक, गति और साहस से,
शत्रु को जीतना होगा।
