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RAMPHAL SAHARAN

Others

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RAMPHAL SAHARAN

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लॉकडाउन

लॉकडाउन

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लॉकडाउन हुआ मानव का,

तब बोध हुआ जीवन का।

अंधी दौड़ थी पकड़ने की,

वक्त का पहिया।

भान हुआ मानव को खोखली,

है उसकी दुनिया।

ज्ञान पाया की प्रकृति की महिमा,

असीम है, अपरंपार।

एक छोटे से लघु अणु ने,

थाम दिया संसार।

प्रकृति की अपनी लय है,

संवरने की बिखरने की।

मानव तो मात्र एक श्रृंखला है,

वनस्पति रचने की।

अतः जीवन नाम जीने का,

जीओ और जीने दो।

यदि सव्यंभू कहलाओगे,

निश्चय ही लॉकडाउन पाओगे।


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