चलो प्रयास करें, अब विकास करें
चलो प्रयास करें, अब विकास करें
किस ओर चली गयी मानव प्रवृत्ति,
सुखमय जीवन से विलासी निवृत्ति।
सदियों से गुरुजन सीख दे रहे,
हम कैसे मूढ़-मलेच्छ हो गये,
भक्ष्य-अभक्ष्य का भेदज्ञान न,
हम कैसे खुद को श्रेष्ठ कह रहे।
पर्यावरण भी त्रस्त हो गयी,
बची धरा ज्यों समुद्र हो रही,
वैश्विक प्रयास के खोखले वादे,
संकल्प सतत पर राजनीतिक इरादे।
आओ मिलकर हम पहल करें,
हस्त-मिलन ना, नमन करें,
सामाजिक दूरी हो सबसे,
चलो प्रयास करें, अब विकास करें।