''खुदके स्वप्न विसर्जित करके आँसू की हाला पीकर सुख-दुख के इस मूल-मन्त्र का सार बताने आया हूँ" .....©धीरेन्द्र वर्मा
आज याद आ गयी अपने कॉलेज के दौर की आज याद आ गयी अपने कॉलेज के दौर की