सैनिक
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हे भारत माता के वीर सपूतों तुम्हें नमन है,
हे सीमाओं के अडिग प्रहरी तुम्हें नमन है।
अपने रक्त से करते श्रृंगार तुम माँ माटी का,
गौरव सदा बढ़ाते आए बलिदानी थाती का।
राष्ट्र प्रथम का ध्येय लिए अपना जीवन जीते,
निजस्वार्थ तजकर वसुंधरा के ये घाव हैं सीते।
प्रतिकूल परिस्थितियों में सीमाओं पर खड़े हैं,
रक्षा हेतु देश की बन प्रहरी शैलराट से अड़े हैं।
निज प्राण आहूत करके कर्तव्य अपना निभाते,
मातृभूमि का बन गौरव मान राष्ट्र का हैं बढ़ाते।
संकट कोई भी आ जाए, पथ से ये हटते नहीं,
मातृभूमि पर मरने वाले वीर कभी मिटते नहीं।
भारती की आरती में निज भाल अर्पित कर देते,
हर रिश्ते को जन्मभूमि पर समर्पित हैं कर देते।
शीश नहीं झुकने देते भले बिन शीश वापस आ जाते,
अंतिम श्वास तक लड़ते फिर ओढ़ तिरंगा आ जाते।।