वीर रस कवयित्री
मत रोको, मत टोको मुझको, मैं नदी की अविरल धार हूँ, है गर्व मुझे मैं नारी हूँ। मत रोको, मत टोको मुझको, मैं नदी की अविरल धार हूँ, है गर्व मुझे मैं नारी हूँ...
निज प्राण आहूत करके कर्तव्य अपना निभाते, मातृभूमि का बन गौरव मान राष्ट्र का हैं बढ़ाते निज प्राण आहूत करके कर्तव्य अपना निभाते, मातृभूमि का बन गौरव मान राष्ट्र का ह...
आ जाओ सब मिलकर के भारत माता की जय बोलो आ जाओ सब मिलकर के भारत माता की जय बोलो
तीनों रंगों की दमक साथ चाहती हूँ मैं, बिखरे तिरंगे की चमक यही चाहती हूँ मैं। तीनों रंगों की दमक साथ चाहती हूँ मैं, बिखरे तिरंगे की चमक यही चाहती हूँ मैं।