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Kaalnari Kaal Nari

Inspirational

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Kaalnari Kaal Nari

Inspirational

हां ! हर आदमी बच सकता है !

हां ! हर आदमी बच सकता है !

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जरा सोचो तो सही, कोरोना कुचक्र से हर आदमी बच सकता है।

बस खुद से प्यार दुलार थोड़ा और बढ़ाने की जरूरत है;

माना कि आज के हालात में यह बात बेतुकी लग सकती है,

विश्वास करो,थोड़े संयम–त्याग से सुरक्षित पल मिल सकता है।


घर से जब भी बाहर निकले तो त्रिस्तरीय मास्क पहनना है,

अत्यंत आवश्यक न हो तो घर में स्वयं को रोक कर रखना है;

बाहर निकलना पड़े तो लोगो से दो गज की शारीरिक दूरी बना कर चलना है,

जरा कर के देखो तो सही, कोरोना कुचक्र से हर आदमी बच सकता है।


बाहर से आने पर नहाना है और कपड़े–मास्क गर्म पानी में धोना है,

अपने हाथ व मोबाइल को बार बार सैनिटाइज करना है;

घर में सुरक्षात्मक और संक्रमणकालीन दवा का स्टॉक तैयार रखना है,

जरा सम्हलो तो सही, कोरोना कुचक्र से हर आदमी बच सकता है।


सुबह शाम घरेलू मसालों से बने काढ़ा का सेवन करना है,

बिना आलस किए कम से कम दो बार भाप लेना है;

रात में सोने से पूर्व गुड हल्दी में पकी दूध का पान करना है,

जरा बात मानो तो सही, कोरोना कुचक्र से हर आदमी बच सकता है।


जितना सम्भव हो दिन भर गुनगुना पानी घूंट घूंट कर पीना है,

सेंधा नमक वाले गर्म पानी से दो से तीन बार कुल्ला करना है;

नींबू वाली काली या हरी या लाल चाय इच्छानुसार बार बार पीना है,

जरा नियम बनाओ तो सही, कोरोना कुचक्र से हर आदमी बच सकता है।


सूर्य की रोशनी में पांच से दस बार सूर्य नमस्कार करना होगा,

फेफड़े की मजबूती के लिए प्राणायाम की क्रिया अपनानी होगी;

मन की शक्ति हेतु ध्यान की अवस्था का अभ्यास करना होगा,

जरा अनुशासन में रहो तो सही, कोरोना कुचक्र से हर आदमी बच सकता है।


सप्ताह में पांच दिन आधे घंटे की पसीना बहा कर अच्छी कसरत करनी है,

भोजन में शुद्धता के साथ विटामिन ए, सी, डी, ई, जिंक, आयरन को जोड़ना है,

 विटामीन डी के लिए सुबह सूर्य प्रकाश में पंद्रह मिनट की हाजिरी लगानी है,

जरा निरंतरता रखो तो सही, कोरोना कुचक्र से हर आदमी बच सकता है।


अब प्रकृति का दोहन नही, प्रकृति की सेवा सराहना करनी है,

हर पल ईश्वर से जग हित में पूरे आस्था से प्रार्थना करनी है;

लक्ष्मण रेखा के भीतर रहते हुए जरूरतमंदों की यथासंभव मदद करनी है,

जरा आदर्श को अपनाओ तो सही, कोरोना कुचक्र से हर आदमी बच सकता है।


जैसे हर वर्ष जाड़ा गर्मी बरसात का मौसम आता है जाता है,

ठीक वैसे ही ये कोरोना का मौसम है जो जाने के लिए ही आया है,

इस संक्रमण का मौसमी बयार मौसमी बुखार से सजग सतर्क रहने के निर्देश बतलाता है,

जरा चक्र को समझो तो सही, कोरोना कुचक्र से हर आदमी बच सकता है।


मालूम है कि चारो ओर असहनीय अनहोनी अपूरणीय क्षति हो रही है,

प्रत्येक परिवार अनिश्चित दिशा में भयभीत होकर सशंकित सांसे ले रहा है; 

बेहतर होगा कि जो सामने है जो बचे है उन्हे सुरक्षा कवच धारण कराया जाए,

जरा उनको संजोओ तो सही, कोरोना कुचक्र से हर आदमी बच सकता है।


लॉकडाउन लगे या ना लगे,संक्रमण के सारे मार्ग को कस कर लॉक करना है,

नकारात्मक, डरावने,शंकाग्रस्त,भ्रमात्मक विचारो को दबा कर डाउन रखना है;

दूसरो को सजावटी उपदेश बांटने के बजाए,स्वयं को कसौटी पर कसना है,

जरा संबल रखो तो सही, कोरोना कुचक्र से हर आदमी बच सकता है ।


परिवर्तन सृष्टि का नियम है, यह एक शाश्वत सत्य है,

सत्य को जान कर भी बदलती गति को कोसना व्यर्थ तथ्य है; 

’सुरक्षित जीवन हेतु जीवन शैली में मूलभूत परिवर्तन’ सर्वोचित कथ्य है,

हां ! देखो तो सही, कोरोना कुचक्र से हर आदमी बच सकता है।


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