तेरा इंतजार
तेरा इंतजार
तेरा इंतजार अब मुझे मीठा मीठा सा लगता है,
वहम ही सही पर अब ये सच्चा सच्चा सा लगता है।
इंतजार में किसी से गुजारिश की कोई दरकार नहीं,
ये तो वो हक है जो अपना अपना सा लगता है।
जिसकी राह ताकते है बेपनाह उसे इसकी खबर ही नहीं,
इसलिए ये इंतजार एक अनजाना अफसाना सा लगता है।
आसमान के हर चमकते सितारे पर तेरी इबारत लिख दी है,
तभी तो मुझे तेरा इंतजार आफताब महताब सा लगता है।
बंदिशों से परे बेबाक बिंदास है दोस्ती का रिश्ता,
अब तो तेरा इंतजार मेरा कोई आशना पुराना सा लगता है।
इंतजार के किस्से में लफ्जों का भला क्या काम,
जाने क्यों तेरा इंतजार इकरार ए इजहार सा लगता है ।
न कोई खत, ना कोई पैगाम, ना तेरे आने की कोई सूरत, मालूम है मुझको
फिर भी तेरे इंतज़ार की हर शै मेरे लिए कैफीयत खैरियत सा लगता है।
तेरे इंतज़ार में मेरे जुनून का लहज़ा रूहानी बन गया है, यकीन हो चला कि
मेरी जुस्तजू का मंजिल करीब आता हुआ रफ्ता रफ्ता सा लगता है।
मानो जैसे मेरी आंखों के गहरे नूर तेरे मुंतजिर बन गए हो,
तेरे इंतज़ार का जर्रा जर्रा मेरे लिए अब शौक ए इबादत सा लगता है।
