मिल गया कोई हमसफर
मिल गया कोई हमसफर
अब तलक सिर्फ़
इक अजनबी था ये मुसाफिर
किसी का हमसफर बन गया है
तुमसे नजरें मिलाने के बाद
जब निकला था तो अकेला था सफ़र में
कुछ क़दम चलने के बाद
तुम मिली तो लगा अकेला नहीं
मेरा हमसफर भी साथ है इस सफ़र में
अपनी तारीफ में कुछ नहीं कहना है मुझे
सिवा इसके कि कल अकेला था
आज कोई मिल गया है चलते चलते
चलो हाथ मेरा थाम लो मंज़िल आने तक
बाद उसके क्या होगा
न तुम जानती हो न मैं जानता हूँ
कुछ तुम कहो और कुछ मैं कहूँ
कुछ तुम सुनो और कुछ मैं सुनूं
संकरी पगडंडियों से गुजरकर
राह में पड़े कांटों को हटाकर
हर मुश्किल आसान हो जाएगी
फौलादी कदमों से चट्टानों के सीने चीरकर
राह अपनी सहज बनाएंगे
अगर साथ तुम्हारा मिल जाए मेरे हमसफर
इतनी ख़ामोश क्यों हो
इतनी बेचैनी आख़िर किसके किए
अगर दोस्त माना है तो यक़ीन करो
तुम्हारा हर दर्द अब मेरा है
तुम्हारा हर ग़म भी अब मेरा है
अगर हर क़दम साथ निभाने का
तुम वादा करो मेरे हमसफर
मेरी इन आंखों में तनिक झांको तो सही
तुम्हारे दिल के हर राज छिपे हैं यहाँ
बेशक तुम कुछ न बताओ मगर
तुम्हारी खामोशियों ने सब कुछ बयाँ कर दिया है
जिसे बताने में तुम डरती हो मेरे हमसफर।