STORYMIRROR

Kishan Negi

Romance Fantasy

4  

Kishan Negi

Romance Fantasy

मिल गया कोई हमसफर

मिल गया कोई हमसफर

1 min
405

अब तलक सिर्फ़ 

इक अजनबी था ये मुसाफिर

किसी का हमसफर बन गया है 

तुमसे नजरें मिलाने के बाद

जब निकला था तो अकेला था सफ़र में

कुछ क़दम चलने के बाद 

तुम मिली तो लगा अकेला नहीं

मेरा हमसफर भी साथ है इस सफ़र में

अपनी तारीफ में कुछ नहीं कहना है मुझे

सिवा इसके कि कल अकेला था

आज कोई मिल गया है चलते चलते

चलो हाथ मेरा थाम लो मंज़िल आने तक

बाद उसके क्या होगा 

न तुम जानती हो न मैं जानता हूँ

कुछ तुम कहो और कुछ मैं कहूँ

कुछ तुम सुनो और कुछ मैं सुनूं

संकरी पगडंडियों से गुजरकर 

राह में पड़े कांटों को हटाकर

हर मुश्किल आसान हो जाएगी

फौलादी कदमों से चट्टानों के सीने चीरकर

राह अपनी सहज बनाएंगे

अगर साथ तुम्हारा मिल जाए मेरे हमसफर

इतनी ख़ामोश क्यों हो

इतनी बेचैनी आख़िर किसके किए

अगर दोस्त माना है तो यक़ीन करो

तुम्हारा हर दर्द अब मेरा है

तुम्हारा हर ग़म भी अब मेरा है

अगर हर क़दम साथ निभाने का

तुम वादा करो मेरे हमसफर

मेरी इन आंखों में तनिक झांको तो सही

तुम्हारे दिल के हर राज छिपे हैं यहाँ

बेशक तुम कुछ न बताओ मगर

तुम्हारी खामोशियों ने सब कुछ बयाँ कर दिया है

जिसे बताने में तुम डरती हो मेरे हमसफर



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance