STORYMIRROR

Kishan Negi

Romance Fantasy

4  

Kishan Negi

Romance Fantasy

अधर छापना चाहता हूँ

अधर छापना चाहता हूँ

1 min
389

तुम्हारे शब्दों की तीव्रता नहीं

शब्दों के भावों को छूना चाहता हूँ

तुम्हारे कोमल बदन को नहीं

बदन के अंदर रूह को छूना चाहता हूँ

तुम्हारे जख्मों की गहराई नहीं

जख्मों में उभरे दर्द को छूना चाहता हूँ


बसंत की मादक बयार हो तुम

तुम्हारी सुगंध में महकना चाहता हूँ

आषाढ़ की रिमझिम फुहार बनकर

तुम्हारे अधरों पर बहकना चाहता हूँ

कमसिन यौवन की मालकिन हो 

तुम्हारी मुस्कान बनकर चहकना चाहता हूँ


तन्हा रात की धवल चांदनी हो तुम

तुम्हारे आंचल की छांव में सोना चाहता हूँ

जब निकला था तो अकेला था

सफर में तुम्हारा हमसफर होना चाहता हूँ

क्या पाया कभी हिसाब नहीं रक्खा

कुछ पाने के लिए सब कुछ खोना चाहता हूँ


तुम जैसी हो सच में लाजवाब हो

तुम्हारे लिए ख़ुद को बदलना चाहता हूँ

तन्हाईयाँ थक गई हैं चलते चलते

अब कुछ क़दम तुम्हारे साथ चलना चाहता हूँ

तुम खिलती हो महकती भोर बनकर

मैं तुम्हारा सूरज बनकर निकलना चाहता हूँ


आकाश की ऊंचाई नापने से पहले 

तुम्हारे सब्र की गहराई मापना चाहता हूँ

जितने गुनाह हुए हैं तुमको पाने में

तुम्हारी वफ़ा के आंचल से ढांपना चाहता हूँ

घूंघट उठाए सजी रहना तुम दुल्हन-सी 

तुम्हारे अधरों पर अधर छापना चाहता हूँ।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance