हमसफर
हमसफर
हाथों में लेकर हाथ कुछ दूर यूँ ही चला जाये
नजरों से बातें हो दिल को प्यार से फुसला जाये
बन के बारिश की छनछन फैले प्रीत की सरगम
बजाते अधरों से बांसुरी मन को यूँ बहला जाये
हो ना कभी रुसवाइयों का सहर ऐसी शाम न हो
फासला ना हो रिश्ते में ऐसे अहम को कुचला जाये
स्नेह का सागर हो मन, प्रीत का गागर हो दिल में
ख़ामोशी ना छाए इतनी भी खामोशी बदला जाये
दिल पे कभी भारी पड़े अहंकार ,गुस्सा या तृष्णा
प्यार और एहसास से दूर रिश्ते से फासला जाये
हाथों में लेकर हाथ कुछ दूर यूँ ही चला जाये
नजरों से बातें हो दिल को प्यार से फुसला जाये।।