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Roshan Baluni

Fantasy Others

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Roshan Baluni

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"राखी"

"राखी"

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श्रावणी ऋतु है सुहानी, मन रिझाई है।

रिमझिम फुहारें साथ ले आप आई है।।


शुभ है दिवस शुभ है घड़ी हम सूत्र बाँधे।

बहन भाई तिलक राखी की बधाई है।।


प्रेम का ये सूत्र भाई हम वचन पायें।

वार शुभ है पल-विपल भी तिथि सुहाई है।।


पावसी त्यौहार भाई घर बहन आये।

जान लो बहना सभी का स्नेह पाई है।।


खूब घेवर की मिठाई, थाल पर साजे।

धूप दीप व फूल राखी, बहन लाई है।


गा गये कजरी सखी सब झूम कर आयें।

मल्हार गाओ! तुम सभी तीज आई है।।


दम दमकती दामिनी तब याद तुम आये।

दिल धड़कता तव विरह में याद आई है।।


टप टपकती वो फुहारें भीगता तन-मन।

छपछपकती बूँद हिय में बुदबुदाई है।।


सुखी रह तू-चिरंजीवी! सब सफल होवें।

मात-पितु का प्यार पाकर मुस्कराई है।।



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