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Roshan Baluni

Children

4  

Roshan Baluni

Children

"अभिलाषा"

"अभिलाषा"

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405


मैं हूँ देश की नन्ही बिटिया

मम्मी की आँगन की गुड़िया

सबसे मेरी एक ही आशा

हो हल्का बस्ता, ये अभिलाषा।।


भारी बोझ से लदा बचपन

मानो जीवन में खालीपन

शब्दों का सामान भरा है

काँधे पे बस्ता लटक रहा है।।


कोई है जो मेरी सुध ले?

कोई है जो मन को पढ़ ले?

ढो ले जाती भारी बस्ता

ठीक नहीं है गाँव का रास्ता।।


बहुत सुना है शिक्षा अधिकार 

कहाँ है उसमें ज्यादा भार?

खेल-खेल में ही हो शिक्षा 

भारी बोझ से कैसी दीक्षा


रोज -रोज मैं थक जाती हूँ

बहु भार तले मैं दब जाती हूँ

कैसे करूँ पढ़ाई  अपनी?

किससे लडूँ लड़ाई अपनी?।।


पाँच वर्षाया बच्ची हूँ मैं 

नन्ही कली सी कच्ची हूँ मैं 

क्यों तुमने मुझसे हँसना छीना?

क्यों तुमने मुझसे बचपन छीना?।।


शिक्षा - नाम पे तुम व्यापारी

लूट - खसूट की मारामारी

नीति - नियंताओं से है आशा

हो हल्का बस्ता, ये अभिलाषा।।



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