वो नदी याद आती है..!
वो नदी याद आती है..!
अक्सर नहर से गुजरती हूँ
वो नदी याद आ जाती है
अल्हड़ नादाँ थोड़ी जिद्दी
अपने चंचल लहरों को ले
टकराती शिला संग वो सदी याद आती है,
कहीँ पाकर वट का सहारा
वो लटकती लताओं को कल कल करती
हौले हौले से सहलाती
लहरों पर झूला झूलाती
उसकी कहानी याद आती है
वो अल्हड़ नदी याद आती है।
भूलूँ भी कैसे उसको
कितने धाराओं में बंटकर
कितने सभ्यताओं को स्वयं सींचती
पालती अपने तट पर विविध संस्कृति वो नदी
विविध उद्देशों को पोषति
नहर में तब्दील हुई
वो बचपन की नदी बहुत याद आती है
जब भी नहर से गुजरती हूँ
वो नदी याद आती है।
