जो आलस में डूबे रहते, खुद अपना नुक्सान हैं करते जो आलस में डूबे रहते, खुद अपना नुक्सान हैं करते
भरती हूँ इसे रंगीन शब्दों से, वक़्त तो सबके लिये आफ़ताब है। भरती हूँ इसे रंगीन शब्दों से, वक़्त तो सबके लिये आफ़ताब है।
हौसला बढ़ाते हैं ये वादे काश बढ़ाते रहे हमेशा। हौसला बढ़ाते हैं ये वादे काश बढ़ाते रहे हमेशा।
लाली लाली चुनरिया हमसे लेई लिहा। लाली लाली चुनरिया हमसे लेई लिहा।
और फिर न जाने हम कितनी बाजियां हार बैठे। और फिर न जाने हम कितनी बाजियां हार बैठे।
आख़िर बचपना है क्या नादानी में उठाये कदम या नादान होने का दिखावा....! आख़िर बचपना है क्या नादानी में उठाये कदम या नादान होने का दिखावा....!