नादानी
नादानी
उस रोज मेरी एक
दिलकश सी नादानी पर
लब तुम्हारे कुछ इस तरह
से मुस्करा बैठे।
कि ये कमबख्त दिल उसे
एक खेल समझ बैठा
और फिर न जाने हम
कितनी बाजियां हार बैठे।।
उस रोज मेरी एक
दिलकश सी नादानी पर
लब तुम्हारे कुछ इस तरह
से मुस्करा बैठे।
कि ये कमबख्त दिल उसे
एक खेल समझ बैठा
और फिर न जाने हम
कितनी बाजियां हार बैठे।।