कुछ हुआ, कुछ तो हुआ!!
कुछ हुआ, कुछ तो हुआ!!


उस रोज़ सागर किनारे,
बैठे थे पाँव पसारे!!
पानी छू कर निकल रहा था,
दिल भी ठीक ही धड़क रहा था!!
एक आँख मुड़ी,
एक नज़र जुड़ी!!
समां रंगीन हुआ,
मौसम हसीं हुआ!!
दिल को मेरे उसने छुआ,
कुछ हुआ, कुछ तो हुआ!!
हिम्मत तो करनी ही थी,
ज़मीन तो फिर अपनी ही थी!!
ना में कोई नुक़सान तो ना था,
हाँ में फिर फ़ना तो होना ही था!!
उस मिट्टी से उठे,
बस व
ो ना रूठे!!
यह चाह हमारी थी,
और वो राह तुम्हारी थी!!
बात हुयी, मिलना भी हुआ,
लफ़्ज़ों का खेल हुआ!!
दिल ने फिर दिल को छुआ,
कुछ हुआ, कुछ तो हुआ!!
बात बनी अपनी वहाँ पर,
एक हाँ की थी ताकत जहां पर!!
गए तो थे ज़रूर अकेले,
पर लौटे तो ना रहे अकेले!!
उस हिम्मत का शुक्रिया,
जिसने मुझे तुम्हें दिया!!
कबूल हो गयी मेरी हर दुआ,
कुछ हुआ, कुछ तो हुआ!!